प्रतिरोधक क्षमता : सर्दियों में होने वाली छोटी मोटी बीमारियां जैसे जुकाम , खांसी उन लोगों को ज्यादा तंग करती हैंजिनकी प्रतिरोधक शक्ति (इम्यूनिटी) कमजोर हो गई है। ऐसे लोगों को चाहिए कि बीमारियों के पीछे लट्ठलेकर भागने के बजाय वे अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी तो सर्दी, जुखाम, खांसी तो भूल ही जाइए , कई बड़ी बीमारियों और इंफेक्शंस से भी शरीर खुद ब खुद अपना बचाव कर लेगा।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कोसमझने के लिए हमएक मरे हुए इंसान का उदाहरण लेंगे। जब कोई शख्स मरताहै, तो कुछ ही समय में तमामबैक्टीरिया, माइक्रोब्स, वायरस और पैरासाइट्स शरीर पर हमला कर देते हैं और उसे सड़ाना, गलाना शुरू कर देते है।
अगर कुछ दिनों के लिए शरीर को छोड़ दिया जाए, तो मृत शरीर में केवल कंकाल का ढांचा भर बचा रहेगा, लेकिन जिंदा आदमी के साथ कभी ऐसा नहीं होता। वजह यह है कि जिंदा लोगों में रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) नाम का एक ऐसा मेकनिजम होता है, जो इन बैक्टीरिया, वायरस और माइक्रोब्स को शरीर से दूर रखता है। इंसान के मरते ही उसका इम्यून सिस्टम भी खत्म हो जाता है और शरीर पर हमला करने की ताक में बैठे माइक्रोब्स शरीरको अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। यानी हमारे शरीर के भीतर एक प्रोटेक्शन मेकनिजम है, जो शरीर की तमाम रोगों से सुरक्षा करता है। इसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं।
यह कैसे काम करता है-: वातावरण में मौजूद तमाम बैक्टीरिया और वायरस को हम सांस के जरिये रोजाना अंदर लेते रहते हैं, लेकिन ये बैक्टीरिया हमें नुकसान नहीं पहुंचाते। क्यों ? क्योंकि हमारा प्रतिरोधक
तंत्र इनसे हरदम लड़ता रहता है और इन्हेंपस्त करता रहता है। लेकिन कई बार जब इन बाहरी कीटाणुओं की ताकत बढ़ जाती है तो येशरीर के प्रतिरोधकतंत्र को बेध जाते हैं। नतीजा होता है, गला खराब होना, जुकाम और ज्यादा तेज हमला हो गया तो कभी-कभी फ्लूया बुखार भी। सर्दी, जुकाम इस बात का संकेत हैं कि आपका प्रतिरोधक तंत्र कीटाणुओं को रोक पाने में नाकामयाब हो गया। ओर कुछ दिन में आप ठीक हो जाते हैं। इसका मतलब है कि तंत्र ने फिर से जोर लगाया औरकीटाणुओं को हरा दिया। अगर प्रतिरोधक तंत्र ने दोबारा जोर न लगायाहोता तो इंसान को जुकाम, सर्दी से कभी राहत ही नहीं मिलती। इसी तरह कुछ लोगों को किसी खास चीज से एलर्जी होती है और कुछ को उस चीज से नहीं होती। इसकी वजह यह है कि जिस शख्स को एलर्जी हो रही है, उसका प्रतिरोधक तंत्र उस चीज पर रिऐक्शन कर रहा है,जबकि दूसरों का तंत्र उसी चीज पर सामान्य व्यवहार करता है।इसी तरह डायबीटीज में भी प्रतिरोधक तंत्र पैनक्रियाज में मौजूद सेल्स को गलत तरीके से मारने लगता है। ज्यादातर लोगों में बीमारियों की मुख्य वजह वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इनकी वजह से खांसी - जुकाम से लेकर खसरा, मलेरिया और एड्स जैसे रोग हो सकते हैं। इम्यून सिस्टमइन इंफेक्शन से शरीर की रक्षा करने का काम ही करता है।
इम्यूनिटी बढ़ाने के तरीके
1. खानपान-: रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं हैकि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक
क्षमता में इजाफा कर दिया।इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बनजाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके। अगर खानपान सही है तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किसी दवा या अतिरिक्त कोशिश करनेकी जरूरत नहीं है। आयुर्वेद के मुताबिक, कोई भी खाना जो आपके ओज में वृद्धि करता है रोग प्रतिरोधक क्षमताबढ़ाने में मददगार है। जो खाना आब
बढ़ाता है, वह नुकसानदायक है। ओज खाने के पूरी तरह से पच जाने के बाद बनने वाली कोई चीज है और इसी से अच्छी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। पचने में मुश्किल खाना खाने के बाद शरीर में आब का निर्माण होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है।
>खानपान में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखें कि भूलकर भी वातावरण की प्रकृति के खिलाफ न जाएं। मसलन अभी सर्दियां हैं तो आइसक्रीम खाने से परहेज करना चाहिए।
>बाजार में मिलने वाले फूड सप्लिमेंट्स का फायदा उन लोगों के लिए है, जिनकी खानपान की आदतें अजीबसीहैं। मसलन जो लोग खानेमें सलाद नहीं लेते, वक्त पर खाना नहीं खाते, गरिष्ठऔर जंक फूड ज्यादा खाते हैं, वेअपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन सप्लिमेंट्स की मदद ले सकते हैं। अगर कोई शख्स सलाद, दालें, हरी सब्जी आदि से भरपूर हेल्थी डाइट ले रहा है तो उसे इन सप्लिमेंट्स की कोई जरूरत नहीं है।बाजार में कोई भी सप्लिमेंट ऐसा
नहीं है जिसके बारे में दावे से कहा जा सके कि उसमें वे सभी विटामिंस और तत्व हैं, जो हमारी बॉडी के लिए जरूरी हैं। मल्टी विटामिंस के नाम से बिकने वाले प्रॉडक्ट में भी सभी
जरूरी चीजें नहीं होतीं। इसलिए नैचरल खानपान ही सबसे बेहतर तरीका है।
>प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स
मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए।
>विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है। इसके लिए आमला, मौसमी, संतरा, नींबू लें।
>जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिनड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
>फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं।
>खानपान में गलत कॉम्बिनेशन न लें। मसलन दही खा रहे हैं तो हेवी नॉनवेज न लें। दही के
साथ कोई खट्टी चीज न खाएं।
>अचार का इस्तेमाल कम करें। जिन चीजों की तासीर खट्टी है, वेशरीर में पानी रोकती हैं, जिससे शरीर में असंतुलन पैदा होता है। सिरका से भी बचना चाहिए।
> ठंड में शरीर को ज्यादा एक्सपोज न करें। ऐसा करने पर गर्म करने के लिए शरीर को
अतिरिक्त मेहनत करनी होगी, जिससे प्रतिरोधक क्षमताकम होती है।
>स्ट्रेस न लें। कुछ लोगों में अंदरूनी ताकत नहीं होती। ऐसे में अगर ऐसे लोग स्ट्रेस भी लेना
शुरू कर देंगे तोउनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता एकदम कम हो जाएगी। ऐसे लोगों को जल्दी-जल्दी वायरल इंफेक्शन होने लगेगा।
>ज्यादा देर तक बंद कमरे और बंद जगहों पर न रहें। जहां इतने लोग सांसें ले रहे होंगे, वहां
इंफेक्शन जल्दी ट्रांसफर होगा। खुली हवा में निकलें और लंबी गहरी सांसें लें।
रोगप्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करती है ये चीजें -: ग्रीन टी : इसमें एंटि ऑक्सिडेंट होते हैं, जो कई तरह के कैंसर से बचाव करते हैं। ग्रीन टी छोटी आंत में पैदा होने वाले गंदे बैक्टीरिया को पनपने से रोकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिन में तीन कप ग्रीन टी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाती है।
चिलीज : इनकी मदद से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। ये नैचरल ब्लड थिनर की तरह काम
करती है और एंडॉर्फिंसकी रिलीज में मदद करती है। चिलीज में बीटा कैरोटीन भी होता है, जो विटामिनए में बदलकर इंफेक्शन से लड़नेमें मदद करता है।
दालचीनी : एंटिऑक्सिडेंट से भरपूर होती है। दालचीनी लेने से ब्लड क्लॉटिंग और बैक्टीरिया की बढ़ोतरी रोकने में मदद मिलती है। ब्लड शुगर को स्थिर करती है और बुरे कॉलेस्ट्रॉल से लड़ने में मददगार है।
शकरकंद : प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाने में मददगार है। अल्जाइमर, पार्किंसन और दिल के रोगों को रोकने केलिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
अंजीर: अंजीर में पोटेशियम, मैग्नीज और एंटिऑक्सिडेंट्स होते हैं।अंजीर की मदद से शरीर के भीतर पीएच कासही स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है। अंजीर में फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम कर देता है।
मशरूम : कैंसर के रिस्क को कम करता है। वाइट ब्लड सेल्स का प्रॉडक्शन बढ़ाकर शरीर के
रोग प्रतिरोधक तंत्र को बूस्ट करता है।
2. आयुर्वेद-: च्यवनप्राश: आयुर्वेद में रसायन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद मदद गार होते हैं। रसायन का मतलबकेमिकल नहीं है। कोई ऐसा प्रॉडक्टजो एंटिऑक्सिडेंट हो, प्रतिरोधक
क्षमता बढ़ाने वाला हो और स्ट्रेस को कम करता हो, रसायन कहलाता है। मसलन त्रिफला, ब्रह्मा रसायन आदि, लेकिन च्यवनप्राश को आयुर्वेद में सबसे बढि़या रसायन माना गया है। इसे बनाने मे मुख्य रूप से ताजा आंवले का इस्तेमाल होता है। इसमें अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय समेत कुल 40 जड़ी बूटियां डाली जाती हैं। अलगअलग देखें तो आंवला,
अश्वगंधा, शतावरी और गिलोय का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है।
मेडिकल साइंस कहता है कि शरीर में अगरआई.जी.ई का लेवल कम हो तो प्रतिरोधक क्षमता
बढ़ती है। देखा गया है कि च्यवनप्राश खाने से शरीर में आई.जी.ई.का लेवल कम होता है। इसी तरह शरीर में कुछ नैचरल किलर सेल्स होती हैं, जिनका काम शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता
में बढ़ोतरी करना होता है। च्यवनप्राश इन कोशिकाओं के काम करने की क्षमता को बढ़ा देता है।
कैसे लें : च्यवनप्राश रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच लेना चाहिए। उसके बाद थोड़ा दूध ले लें। इसी तरह रात को सोते वक्त एक चम्मच च्यवनप्राश लें और उसके बाद दूध लें। पांच
साल से कम उम्र के बच्चों को च्यवनप्राश नहीं देना चाहिए। पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चों
को दे सकते हैं, लेकिन आधा चम्मच सुबह और आधा चम्मचरात को। च्यवनप्राश सिर्फ सर्दी,
जुकाम, खांसी, बुखार से ही दूर नहीं रखता, बल्कि लीवर की शक्ति को भी बढ़ाता है। अगर
कोई शख्स बीमारी से उठा है या ज्यादा बुजुर्ग हैतो उसे च्यवनप्राश नहीं लेना चाहिए। इसे
पूरे साल हर मौसम में लिया जा सकता है।
कुछ नुस्खे-: हल्दीसुबह खाली पेट आधा चम्मच ताजे पानी से ले सकते हैं। सिर्फ खांसी हो तो हल्दी को भूनकर शहद या घी के साथ मिलाकरचाट लें। गुड़ और गोमूत्र के साथ हल्दी का
सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। आंवले का रस एक चम्मच,
हल्दी की गांठ का रस आधा चम्मच और शहद आधा चम्मच मिला लें। सुबह, शाम लेने से सभी तरह के प्रमेह, मधुमेह और मूत्र रोगों में फायदा होता है।
अश्वगंधा: आधा चम्मच अश्वगंधा सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध के साथ लें। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमतामें बढ़ोतरी होती है।शरीर को कमजोर कर देने वाले रोगों का डटकर
मुकाबला कर सकते हैं।
आंवला:- ताजे आंवले का रस या चूर्ण त्रिदोषनाशक है। आयुर्वेद में इसे
बुढ़ापे और रोगों से दूर रखने वाला रसायन मानागया है।कहते हैं
कि आंवले के स्वाद और बड़ों की बात की गहराई का पतादेर से चलता है। एक साल तक रोजानाएक चम्मच आंवले का रस या आधा चम्मच
चूर्ण ताजे पानी या शहद के साथ सेवन करनेवालों को आंख, त्वचाऔर मूत्र संबंधी बीमारियों से जिंदगी भर के लिए निजात मिल जाती है।शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कोबढ़ानेका अचूक नुस्खा है आंवला।
शिलाजीत-: सर्दियों में दूध के साथ शुद्ध शिलाजीत का सेवन करने सेहड्डियों, लिवर और प्रजनन संबंधी रोग नहीं होते।शिलाजीत का
सेवन करने वाले को कबूतर का सेवन नहीं करना चाहिए।
मुलहठी-: मुलहठी का चूर्ण आयुर्वेदिक एंटिबायॉटिक है। सर्दियों में दूध
या शहद के साथ रोज मुलहठी चूर्ण लेने से शरीर कीप्रतिरोधक क्षमता
बढ़ती है। सर्दी, खांसी, न्यूमोनिया जैसे रोग नहीं होते। कफ संबंधी बीमारियों को खात्मा होता हैऔर श्वसन संबंधीरोग भी नहीं होते। बच्चों
को दो चुटकी मुलहठी चूर्ण शहद के साथदिन में एक बार दी जासकती है। बड़ों को आधा चम्मच मुलहठीचूर्ण गर्म दूध के साथ दिन
में एक बार लेना चाहिए।
तुलसी-:तुलसी के पत्तों में खांसी, जुकाम, बुखार और सांस संबंधीरोगों
से लड़ने की शक्ति है। बदलते मौसम में तुलसीकी पत्तियों को उबालकर
या चाय में डालकर पीने से नाक और गले के इंफेक्शन से बचाव होता है और शरीर कीरोग प्रतिरोधक क्षमता में गजब का इजाफा होता है।
लहसुन-:लहसुन हमारे इम्यून सिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्णदो सेल्स
को मजबूत करता है। कैल्शियम, मैग्नीशियम,फॉस्फोरस और दूसरे दुर्लभखनिज तत्वों का भंडार, लहसुन शरीर और दिमागदोनों की रोग
प्रतिरोधक क्षमताबढ़ाता है। यह सर्दी, जुकाम, दर्द, सूजन और त्वचा
से संबधित बीमारियां को नहीं होने देता। लहसुन का इस्तेमालघी में
तलकर या सब्जियों और चटनी के रूप में किया जा सकता है।
गिलोय-:नीम के पेड़ में पान जैसे पत्तों वाली लिपटी लता को गिलोय
के नाम से जाना जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधकक्षमता को बढ़ाने
वाली इससे अच्छी कोई चीज नहीं है। इससे सभी तरह के बुखार, प्रमेह और लिवर से संबंधिततकलीफों से बचाव होता है। इसका इस्तेमाल
वैद्य की सलाह से ही करना चाहिए। यह शरीरके तापमान को भीकंट्रोल करती है।
जवानी का नायाब नुस्खा : जो युवा हमेशा अपनी फिटनेस और जवानी बरकरार रखना चाहते हैं, उन्हें हर साल में तीन महीने तक यह नुस्खा लेना चाहिए :आंवला, अश्वगंधा और गिलोय का
चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें औरइसे शहद के साथ लें।
3. होम्योपैथी-: होम्योपैथी में वाइटल फोर्स का सिद्धांत काम करताहै। इम्युनिटी को बढ़ाना
ही होम्योपैथी का आधार है। पूरी जिंदगी को वाइटल फोर्स ही कंट्रोल करता है। यही है जो
जिंदगी को आगे बढ़ाता है। अगर शरीर की वाइटल फोर्सडिस्टर्ब है तो शरीर में बीमारियां
बढ़ने लगेंगी। होम्योपैथी में मरीज को ऐसी दवादी जाती है, जो उसकी वाइटलफोर्स को सही
स्थिति में ला दे। वाइटल फोर्स ही बीमारी को खत्म करता है और इसी में शरीर की इम्यूनिटी होतीहै। दवा देकर वाइटल फोर्स की पावर बढ़ा दी जाती है, जिससे वह बीमारी से लड़ती है और
उसे खत्म कर देती है।होम्योपैथी में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आमतौर पर इन दवाओं का
इस्तेमाल किया जाता है।अल्फाअल्फा क्यू (मदर टिंक्चर) की 5 से 7 बूंदें तीन चम्मच पानी में डालकर दिन में तीन बार रोजाना लें।
अल्फाअल्फा 30 की 3 से 4 बूंद पानी में डालकर दिन में तीन बार लें। इन दोनों दवाओं में
अल्फाअल्फा 30 काअसर ज्यादा गहरा होता है। बच्चों के लिए भी ज्यादा बढ़िया यही दवा है।
दूसरी दवा है अवाइना सटाइवा 30 और अवाइना सटाइवा क्यू। इन दोनों दवाओं को भी ऊपर
दिए गए तरीकों से ही लेना है।
अगर किसी को बार-बार सर्दी, जुकाम, खांसी आदि होते हैं तो इन दवाओं में से कोई एक दो से
तीन महीने तक ले सकते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और छोटी मोटी बीमारियों से राहत मिलती है।
4. नैचरोपैथी-:नैचरोपैथी के मुताबिक बुखार, खांसी और जुकाम जैसे रोगों को शरीर से टॉक्सिंस
बाहर निकालने का मेकनिजम माना जाता है। नैचरोपैथी में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अच्छी
डाइट और लाइफ स्टाइल को सुधारने के अलावा शरीर को डीटॉक्स भी किया जाता है। शरीर
को डीटॉक्स करने के लिएखूब पानी पिएं। हाइड्रेशन के अलावा यह शरीर पर हमला करने वाले माइक्रो ऑर्गैनिजम को बाहर निकालने का काम भी करता है।
लिवर के काम करने की क्षमता को बेहतर बनाएं। इसके लिए नैचरोपैथी में गैस्ट्रोहिपेटिक पैक
(लिवर पैक) की मदद से इलाज किया जाता है। इसमें पानी का इस्तेमाल होता है। इससे लिवर
की काम करने की शक्ति और मेटाबॉलिज्म बेहतर होती है। किसी योग्य नैचरोपैथ की देखरेख
में इसे किया जा सकता है। 15 दिन तक रोजाना 20 मिनट की सिटिंग होती है। इसके साथ
सही डाइट लेने को भी कहा जाता है।
हफ्ते में एक बार पूरे शरीर की अच्छी तरह मसाज करें। इसके लिए तिल के तेल या ओलिव
ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं।तेल को गुनगुना रखें। वैसे, थेरप्यूटिक मसाज भी होती है,
जो किसी योग्य नैचरोपैथ की देखरेख में ही की जाती है। मसाज से शरीर के तमाम पोर्स
खुलते हैं और शरीर की कोशिकाओं की सफाई हो जाती हैं।
5. योग और एक्सरसाइज-: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करने में यौगिक क्रियाएं बेहद फायदेमंद हैं। किसी योगाचार्य से सीखकर इन क्रियाओं को इसी क्रम में करना चाहिए कपालभांति, अग्निसार क्रिया,सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, उत्तानपादासान, कटिचक्रासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, नौकासन, मंडूकासन, अनुलोम विलोम प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी और ध्यान।
एक्सरसाइज-: एक्सर्साइज करने से शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में बढ़ोतरी होती है, मसल्स टोन होती हैं, कार्डिएक फंक्शन बेहतर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी
होती है। शरीर से जहरीले पदार्थ निकालने में भी एक्सर्साइज मददकरती है। दरअसल,एक्सर्साइज के दौरान हम गहरी, लंबी और तेज सांसें लेते हैं। ऐसा करने से जहरीले पदार्थ फेफड़ों से बाहर निकलते हैं। दूसरे एक्सर्साइज के दौरान हमें पसीना भी आता है। पसीने के जरिये भी शरीर से गंदे पदार्थ बाहर निकलते हैं। एक स्टडी के मुताबिक अगर रोजाना सुबह 45 मिनट तेज चाल से टहला जाए तो सांस से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं और बार-बार बीमारी होने की
आशंका को आधा किया जा सकता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि एक्सर्साइज का तरीका क्या है, लेकिन अगर आप इसे नियम सेकर रहे हैं तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होगी ही।
बच्चों में इम्युनिटी-: इम्युनिटी कितनी है, इसकी नींव गर्भावस्था से ही पड़ने लगती है। इसलिए जो मां चाहती हैं कि उनके बच्चे की इम्यूनिटी बेहतर रहे, उन्हें इसके लिए तैयारी गर्भधारण के वक्त से ही शुरू कर देनी चाहिए। गर्भावस्था मेंस्मोकिंग, शराब, स्ट्रेस से पूरी तरह दूर रहें। पौष्टिक खाना लें। गर्भवती महिलाएं अच्छा संगीत सुनें और अच्छी किताबें पढ़ें।
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