Sunday, 4 February 2018

रेंकी के चरण

रेंकी के चरण
प्रथम चरण (रेंकी 1st डिग्री) -: यह  रेंकी का बेसिक कोर्स हैं। रेंकी मास्टर द्वारा ब्रह्मांडीय ऊर्जा को शक्तिपात के द्वारा शरीर में संचारित किया जाता हैं।  रेंकी क्या हैं। इतिहास, रेंकी के स्थान, मन को स्थिर करने की विधि, रेंकी सिद्धांत, शरीर के सभी 26 बिंदुओं पर ऊर्जा को लेने का तरीका बताया जाता हैं।
       भौतिक शरीर की रुकावट को खोल कर ऊर्जा का संचरण किया जाता हैं। और फिर 21 दिन तक आपको अभ्यास करना होता हैं। इस अभ्यास के दौरान आने वाली बाधाओं का समाधान किया जाता हैं। तथा आपके अनुभव के आधार पर जब यह पता लग जाता हैं। कि अब आप ब्रह्मांडीय ऊर्जा को अवशोषित कर पा रहे हैं और इसे हाथों के द्वारा आगे दे पा रहे हैं। तब द्वितीय डिग्री लेने की इजाजत दी जाती हैं।
द्वितीय चरण (रेंकी 2nd डिग्री) -: रहस्यमय मंत्र एवं सिंबल दिए जाते हैं। जिनके द्वारा हम दूर बैठे व्यक्तियों को भी  रेंकी भेज सकते हैं। और सभी चक्रो पर विशेष शक्तिपात किया जाता हैं। चक्रों का संतुलन करना सिखाया जाता हैं। रेंकी बॉक्स बनाना एवम सुदर्शन चक्र के निर्माण की क्रिया दी जाती हैं। इससे आप अपनी इच्छाएं पूरी करने लगते हैं। दूसरों को स्वस्थ करने लगते हैं। सभी चक्रों का के बारे में बताया जाता हैं। किस किस चक्र से क्या क्या लाभ होंगे और प्रत्येक चक्र को बिना स्पर्स किए कैसे ऊर्जा देते हैं सिखाया जाता हैं। इसमें आपको तीन सिंबल दिए जाते हैं एक पावर बढ़ाने के लिए, दूसरा रक्षा के लिए, तीसरा दुरस्त हिलिंग के लिए, इसमें ऊर्जा पहले से 4 गुना हो जाती हैं। कंपनी भी बढ़ जाता हैं।
तृतीय चरण (रेंकी 3rd डिग्री) -: अत्यंत शक्तिशाली सिंबल दिया जाता हैं। आप सामने वाले की सभी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। साइकिक हिलिंग उपचार, एवम कुछ मंत्र व एक सिंबल दिया जाता हैं। जिससे ऊर्जा बहुत तेजी से ली एवम दी जा सकती हैं। आप हर प्रकार के मरीज का इलाज करने में सक्षम हो जाते हैं। मास्टर बन जाते हैं। लोगों को रेंकी 1st डिग्री एवं रेंकी 2nd डिग्री सिखा सकते हैं। आज्ञा चक्र के द्वारा ब्रहमांड में प्रवेश कराया जाता हैं।

         करुणा साधना को बताया जाता हैं। इसमें आप सभी पेड़ पौधों से ऊर्जा लेने लगते हैं। सभी के प्रति प्रेम को बढ़ावा मिलता हैं। सामने वाला आपसे प्रेम करने लगता हैं। और आप उससे प्रेम करने लगते हैं। आपका हृदय करुणा से भरने लगता हैं। आप सब पर दया करने लगते हैं।

        तृतीय चरण (रेंकी 3rd डिग्री) में आपको कुछ अन्य सिंबल भी दिए जाते हैं। जिससे आप और बहुत सी जरूरतें अपनी व दूसरों की पूरी कर पाते हैं।


 ग्रैंड मास्टर -: इसमें मास्टर कैसे बनाते हैं। परमानंद के बिंदु को बताया जाता हैं। जहां आपको फिर कुछ पाना बाकी नहीं बचता हैं। आप पूर्ण संतुष्ट हो जाते हैं। आप समाधि का आनंद लेते हैं। और संसार की सत्यता से रूबरू होने लगते हैं। प्रकृति की मोह माया से मुक्ति मिल जाती हैं। प्रकृति की व्यवस्था को समझने लगते हैं आपके सामने सारे रहस्य खुलने लगते हैं।
Kalpant Healing Center
Dr J.P Verma (Swami Jagteswer Anand Ji)
(Md-Acu, BPT, C.Y.Ed, Reiki Grand Master, NDDY & Md Spiritual Healing)
Physiotherapy, Acupressure, Naturopathy, Yoga, Pranayam, Meditation, Reiki, Spiritual & Cosmic Healing, (Treatment & Training Center)
C53,  Sector 15 Vasundra, Avash Vikash Markit, Near Pani Ki Tanki,  Ghaziabad
Mob-: 9958502499 

रेंकी के सिद्धांत

रेंकी के सिद्धांत
1 विस्वास -: विस्वास अर्थात मैं कर सकता हूँ, संदेंह कार्य में पर्वत के समान है ओर विश्वास पार करा देता हैं।
2 इच्छा शक्ति -:  रचनात्मक करने की शक्ति -: मैं ठीक कर सकता हूँ, मैं अपनी इच्छा पूरी कर सकता हूँ, अतः इच्छा शक्ति का त्याग कभी ना करें। प्रबल इच्छा ही सफलता की कुंजी हैं।
3 स्वास्थ -: में पूर्ण स्वस्थ हूँ, और दूसरों को स्वस्थ कर सकता हूँ, हमेशा याद रखें।
4 ज्ञान -:  मैं अपने पूर्ण ज्ञान का प्रयोग करूंगा, और इसे नित्य बढ़ाता जाऊंगा।
5 बुद्धिमानी -: हमें हर कार्य को करने से पहले अच्छे से समझना है और तब निर्णय करना है कि क्या कब क्यों कैसे करेंगे।
6 निपुणता -: अपनी निपुणता पर मुझे पूरा भरोसा है।
7  उत्सव -: मेरा जीवन हर पल उत्सव हैं। यह उत्साह हमेंशा बनाए रखूंगा।
8 विवेक -: विवेक व साहस के साथ में हर कार्य को पूरा करुंगा
9 क्रम -:  मैं सफल होने के लिए हर-पल सभी संभव कोशिश करुंगा।
10 दृढ़ता -:  अपनी सोच में दृढ़ता व धैर्य बनाए रखूंगा।
11 आभार -:  देने वाले का आभार हमेशा प्रकट करूगां।
12 धन्यवाद -: हमेशा सकारात्मक सोचूँगा। ईश्वर, परिवार, प्राकृति का धन्यवाद करूंगा।
13 अपने शत्रु -: में हमेशा अपने शत्रु अकर्मण्यता, लापरवाही, अहंकार, चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, घृणा, जल्दबाजी, भय, लालच मोह, नकारात्मकता, तर्क आदि से दूर रहूँगा।
14 वर्तमान -: सदा वर्तमान में जियूंगा, अतीत की गलतियों को याद नहीं करुंगा।
15 स्वीकार -: अपने को जैसा भी हूँ वेसा स्वीकार करुंगा। और दूसरे से तुलना नहीं करुंगा तथा अपनी कल्पना शक्ति से सभी मनवांछित इच्छाएं पूरी करुंगा।
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मनुष्य की आवश्यकताऐ

मनुष्य की आवश्यकताऐ
1.मनुष्य की पहली जरूरत है पैसा, अच्छा खाना, अच्छा पहनना और मनुष्य इसके लिए संघर्ष करता हैं। कभी-कभी वह संघर्ष करके भी यह सब नहीं पाता है। उस समय आपको किसी ऐसी पावर की जरूरत होती है जिससे यह जरूरते आपकी ओर आकृर्षित होने लगे। रेंकी में यह सब संभव हो जाता है। आप संबंधों को सुधार सकते हैं। अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। आप अपनी व परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं।

2.प्रेम -:  प्रेम मनोविज्ञानिक व आध्यातमिक दो प्रकार का होता है। और यह प्रेम ही हमें एक दूसरे से बांधकर रखता है। और यही रचनात्मक शक्ति है। स्वयं से व अपने संसार से प्रेम करें, जिससे आप जुड़े हैं। क्योंकि प्रेम में ऊर्जा अधिक क्रियाशील होती है।   इसके विपरीत घृणा विध्वंशक शक्ति है, जो ऊर्जा का नाश करती है। बच्चों में व स्त्रियों में दोनों शक्तियां प्रबल होती हैं। परंतु 16 साल के बाद पुरुष में रचनात्मक शक्ति कम होती जाती है और उसका प्रेम लोभ व लालच बस रहता है।

        प्रेम उपहार देना, सब कुछ स्वीकार कर लेना, एक दूसरे में दोषारोपण करना, मुख्य बातों को, जन्मदिन या पुण्यतिथियो को ध्यान रखना, या अपने उपयोग के लिए दूसरे का प्रयोग करना नहीं है।
        प्रेम दूसरों की गलतियों को सुधारना, दूसरे की महत्ता को महसूस करना, सकारात्मक ऊर्जाओ का आदान प्रदान करना, समस्याओं का मिलकर समाधान करना, हर पल सामने वाले का साथ देना, व हर पल मुस्कराते रहना, व मुस्कराहट बाटने का नाम प्रेम है।

प्रेम से क्या मिलता है ? -:  बहुत कुछ / प्रेम और स्वास्थ के बीच बहुत गहरा संबंध है। यह तनाव को कम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। हमारी आयु बढ़ाने में सहायक है। प्रेममय स्पर्स  से ऑक्सीटॉक्सिन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो अवसाद (डिप्रेशन) व मनोविकार का उपचार होता है। यह हमारी प्रतिरोध क्षमता को भी बढ़ाता हैं। इसलिए एक दूसरे का आलिंगन, लिपटना, सटकर या चिपटकर लेटना, उठना बैठना, सहलाना आदि क्रियाएं आपके स्वास्थ्य व ह्रदय के लिए अच्छी होती हैं। एक माँ जिन बच्चों को ज्यादा प्यार दुलार करती है वह बच्चा हमेशा ज्यादा हष्ट पुष्ट होता हैं। और जो पति पत्नी ज्यादा प्रेम से रहते हैं उनका स्वास्थ्य अन्य की अपेक्षा ज्यादा ठीक पाया जाता है। एवं उनका जीवन ज्यादा आनंदित होता हैं।

            प्रेम आपस का वो संबंध है जो हमारे आस-पास बना हुआ है चाहे वो मित्र हो, रिश्तेदार हो, या कोई पड़ोसी,सभी के साथ (जिससे भी आप जुड़े.है) आप प्रेम करते हैं या वो आपसे प्रेम करता है तभी हम जचड़ते हैं। और रेंकी के द्वारा हम सभी संबंधों को सुधार सकते हैं, चाहे कोई भी किसी का संबंध क्यों ना हो

3.जब मनुष्य की बेसिक जरूरतें पूरी हो जाती हैं। तो फिर वह सब सुरक्षा चहाता है। वह अंदर से भावनात्मक व आध्यात्मिक सुरक्षा को पाना चाहता है। जो मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती हैं। डर चाहे वह समाज का हो या भीतरी (जैसे अंधेरा, भूत-प्रेत, दुश्मन का डर, चोरी आदि का डर, रोंगो का डर आदि) रेंकी आपके इन डरो से मुक्ति दिलाती है। कुछ लोग डर को स्वीकार ही नहीं करते, पर अंदर से सब डरे हुए हैं। ओर उसी डर को दूर करने के लिए सब मन्दिर मे, गुरूओ के पास, तांत्रिकों के पास, ज्योतिषो के पास, डॉक्टर के पास आदि जगह दौड़ते रहतें हैं। परंतु डर जीवन भर साथ नहीं छोड़ता। हम रेंकी के द्वारा इस डर को दूर कर सकते हैं।

4.अब जब हमारी शारीरीक जरुरते पूरी हो गई,  सुरक्षा भी हो गई। तब आपको जरुरत होती है आत्मविश्वास की, जहाँ पर हमें संतुष्टि प्राप्त होती है। हमारी रचनात्मक बनने की इच्छा होने लगती है। प्रसिद्धि पाना चाहते हैं, लोग मुझे पहचाने, जाने, समाज में इज्जत हो इसका प्रयास करते हैं। और जब यह भी इच्छा पूरी हो जाती है अच्छे बुरे रास्ते पर चलकर, तो आगे की आवश्यकता होती है कि अब मैं अपनी नजर में अच्छा बन जाऊं, सब मुझे अच्छा कहते हैं तो क्या वाकई मे में अच्छा हूँ, इसे ढूंढने लगते हैं, और इस इच्छा के पूरे होने पर आपको शांति आनंद की प्राप्ति होती है। रेंकी आपको यह सब देती है और आनंद के उस मुकाम तक ले जाती है जहां पर आप पूर्ण संतुष्ट व आनंदमय जीवन जीने लगते हैं।

5.फिर अंतिम इच्छा होती है कि मैं दुनिया को बदलू, दुनिया में कुछ ऐसा करू जो मुझे भी आनंद दें और सामने वाले को भी। मैं सेवा करुं, परमात्मा की मस्ती में मस्त रहूँ या और भी ऐसी अंतिम इच्छाऐं जो मनुष्य का लक्ष्य होती है। वो रेंकी से पा सकते सकते हैं।


अब एक सवाल मनुष्य की इतनी सारी इच्छाऐ हैं, शारीरीक जरुरतों से लेकर अंतिम आनंद पाने तक की। बहुत से छोटे छोटे व  बड़े बड़े लक्ष्य है और इन सभी लक्ष्यो का लक्ष्य क्या है। क्या मनुष्य उस लक्ष्य को पा सकता है। मनुष्य की सुबह से लेकर शाम तक की जाने वाली दौड़ और इसी प्रकार जन्म से मृत्यु तक के सफर में की जाने वाली दौड़ केवल और केवल डर से मुक्ति व खुशी को पाना है (Fear, phobia to joy Fulnees, Happiness) तो पूरे जीवन की यात्रा हम डर सें खुशियां पाने तक की करते हैं। रेंकी हमें इस यात्रा को हर क्षण पूर्ण करती रहती है। हर पल हमें खुशियां मिलने लगती हैं हमारी सारी इच्छाऐं पूरी होने लगती हैं।
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रेंकी जागरण का एहसास

रेंकी जागरण का एहसास
 जब डॉक्टर मिकाओ उशुई ने 21 दिन तक ध्यान किया तो 21 वे दिन उन्हें आज्ञा चक्र में तीव्र सफेद रोशनी आती हुई दिखाई दी और धीरे-धीरे वह रोशनी इतनी बड़ी कि उनके चारों ओर फैल गई और हजारों तरंगे इंद्रधनुष के रंगों के समान उन्हें दिखने लगी, सूक्ष्म शारीर के चक्रों में ऊर्जा का प्रसार हुआ ओर काफी देर तक उन्होंने यह ऊर्जा अपने अंदर महसूस की, लेकिन वो इस ऊर्जा को बर्दाश्त नहीं कर पाए और मूर्छित हो गए, ओर जब वो जागे तो उन्हें पता चला कि कोई शक्ति उनके अंदर आ गयी हैं। उन्होंने उस शक्ति का प्रयोग किया ओर उसे रेंकी नाम दिया।


           रेंकी की 1st डिग्री में हम यही अहसास कराने  की कोशिश करते हैं। जो 21 दिन में डॉक्टर मिकाओ उशुई को अनुभव हुआ था। वह हमारी कल्पांत रेंकी हीलिंग में पहलें दिन  ही हो जाता हैं। ओर  चेतना अवस्था में होता हैं। जब हम इसको जान लेते हैं। तब इसका प्रयोग करना आसान हो जाता हैं। और हम प्रथम दिन से ही अपना उपचार शुरु कर देते हैं। ओर आप जब 21 से 40 दिन तक लगातार इसका अभ्यास करते हैं। तो यह ऊर्जा इतनी बढ़ जाती हैं। कि आप अब इसका प्रयोग दूसरों के लिए भी करने को तैयार हो सकते हैं और तब फिर 2nd डिग्री लेने कि इजाजत दी जाती हैं। जिससें आप अपनी सुरक्षा कर सकें और दूसरे को रोगमुक्त कर सकें, रेंकी बॉक्स के द्वारा रिलेशनशिप को सुधारना अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना आदि बताया जाता हैं। 

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कल्पांत रेंकी साधना

कल्पांत रेंकी साधना
रेंकी परिचय
रेंकी (Reiki) एक जापानी शब्द हैं।, जिसका अर्थ हैं। सर्वव्यापी जीवनी शक्ति (Universal Life Energy), इसको ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) भी कहा जाता हैं। प्रत्येक मनुष्य इस जीवनी शक्ति के साथ उत्पन्न होता हैं। और पूरे जीवन इसका जाने अनजाने प्रयोग करता रहता हैं। लगभग 1900 ईसा के अंतिम वर्षों में डाँ मिकाओ उशुई ने रैंकी को खोजा ओर उन्हे इसका संस्थापक माना गया हैं। परंतु हमारे ऋषि मुनियों ने, संत महात्माओं ने जीवन के आरंभ में ही इस विधि को जान लिया था। और वह प्रार्थना के द्वारा इसका प्रयोग करते  थें। हमारे प्राचीन  ऋषियों की संपदा को ही डॉक्टर मिकाओ उशुई ने खोजा और जापानीज सिंबल व जापानी मंत्र दिए, परन्तु कल्पांत रेंकी साधना में हम भारतीय सिंबल व मंत्र के द्वारा  रेंकी हीलिंग सीखेंगे और यह रेंकी या ऊर्जा जापानीज रेंकी से हजारों गुना तेजी से काम करेंगी और इसको जानना व सीखना भी आसान होगा।

            आप ने सुना होगा कि हमारे पूर्वज, गुरु, संत, महात्मा, शक्तिपात किया करते थें, और वह इससे चक्रों को जागृत किया करते  थें। चक्र जागृत करने के दो ही रास्ते हैं। एक ध्यान व दूसरा शक्तिपात, तो शक्तिपात की इस क्रिया को ही रेंकी कहा जाता हैं। परंतु डाँ मिकाओ उशुई ने इसे ध्यान के द्वारा प्राप्त किया था। और एक खास बात की  रेंकी कुंडलिनी शक्ति का प्रयोग ही हैं। रेंकी मैं ऊर्जा ब्रह्मांड से लेकर आगे सामने वाले पर प्रवाहित की जाती हैं, और उसका चैनल या यूं कहें कि माध्यम हम होते हैं बस यही रेंकी हैं।

             सदियों से मनुष्य ने बह्मांड में व्याप्त इस चेतना शक्ति को जानने की कोशिश की हैं। यही शक्ति हमारे शरीर का निर्माण करती हैं। और पूरे जीवन का संचालन करती हैं। हमारे महान ऋषियों ने बहुत पहले बता दिया था। कि यह चेतन शक्ति सभी वस्तुओं में निवास करती हैं। और यही शक्ति हमारे हाथों से रेंकी उपचार के समय प्रवाहित होती हैं।


         प्राचिन समय से चली आ रही आशीर्वाद, प्रार्थनाये, शक्तिपात, चक्र जाग्रत करना, संकल्पों के द्वारा रोंगों को ठीक करना, भक्तों के द्वारा किए जाने वाले कार्य आदि परंपराएं रेंकी का ही रूप हैं। और इस बात से सिद्ध होता हैं। कि डॉक्टर मिकाओ उशुई से पहले भी भारत में इसका प्रयोग संत महात्मा करते  थें

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