Friday, 27 August 2021

सब कुछ ऊर्जा है

 सब कुछ ऊर्जा है

अल्वर्ट आइंस्टीन एक विज्ञानिक हुए जिन्होंने यह सिद्धांत दिया कि सब कुछ ऊर्जा है, ओर ऊर्जा को न तो कभी नष्ट कर सकते हैं और ना ही पैदा कर सकते हैं, केवल उसके स्वरूप को बदल सकते हैं, जैसे पानी को आग पर गर्म करने से ऊर्जा वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाती है और फिर ब्रह्मांड में मिल जाती है, उसके बाद वही ऊर्जा बादल के रूप में बरस कर पानी के रूप में बदल जाती है, ऐसे ही लकड़ी को जलाने पर लकड़ी की ऊर्जा अग्नि के रूप में, उष्मा के रूप में व्याप्त हो जाती है, और इसी प्रकार और ऊर्जा के स्वरूपों को देखें, तो प्रकाश, ध्वनि, ताप, बिजली, विद्युत चुंबकीय तरंगे, गति, पानी, बोतल, खाना, शरीर, कपड़े, पेड़, पोधे, घर, मकान, कार, पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्र, पहाड़, धातुएं, नग, नगीने, सभी ठोस, द्रव्य, गेस, ऊर्जा के ही रूप हैं, 


उन सभी में एक ही ऊर्जा व्याप्त है, यदि किसी भी वस्तु को हम माइक्रोस्कोप के द्वारा निरीक्षण करेंगे, तो जानेंगे कि सब कुछ केवल ऊर्जा से बना हुआ है, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, सब ऊर्जा से बंधे हुए हैं, और यही ऊर्जा सभी प्राणी का निर्माण कर रही है, और यही हर वस्तु का भी निर्माण कर रही है, वह कोई भी पत्थर हो या प्राणी या धातु या पेड़ पौधा अंत में सब ऊर्जा में ही विघटित हो जाते हैं, और सभी एक ही ऊर्जा से पैदा हुआ करते हैं, आपके विचार, भावनाएं, कार्य, सब ऊर्जा के रूप हैं, इसी को कॉस्मिक एनर्जी कहा जाता है, और इसी ऊर्जा का प्रयोग सभी करते हैं, और सभी हिलिंग में भी इसी ऊर्जा का प्रयोग होता है रेकी हीलिंग, साइकिक हीलिंग, स्प्रिचुअल हीलिंग, टच हीलिंग, कॉस्मिक हीलिंग, सबकॉन्शियस माइंड हीलिंग, तन्त्र हीलिंग, मन्त्र  हीलिंग, थीटा हीलिंग, बीटा हीलिंग, गामा हीलिंग, एंजेल हीलिंग, और समस्त हीलिंग इसी ऊर्जा से कार्यरत होती हैं, परंतु ऊर्जा के प्रयोग के तरीके अलग-अलग होते जाते हैं 

यह चेतना वह तत्व है जो हर प्राणी में हैं इसी को शिवतत्व कहा गया, ओर सभी में यह तत्व चेतन तत्व के रूप में विद्यमान हैं, जो हर चीज को एक निश्चित आकार में रखे हुए हैं, पानी को पानी के रूप में, पहाड़ों को पहाड़ों के रूप में, वृक्षों को वर्क्षो के रूप में, मनुष्य को मनुष्य के रूप में, जानवरों को जानवरों के रूप में, पक्षियों को पक्षियों के रूप में, इसको ही शिव तत्व, ज्ञान तत्व, आदि शक्ति, पराशक्ति और जापान में रेकी आदि नामों से जाना जाता है, हमारी चेतन ऊर्जा और निर्जीव की चेतन ऊर्जा में केवल एक अंतर होता है, और वह है चेतन तत्व अपनी ऊर्जा में विचारों से, भावनाओं से, कर्म करके सोचकर बदलाव ला सकते हैं, निर्जीव ऊर्जा में बदलाव नहीं ला सकते, लेकिन हम स्वयं के साथ साथ निर्जीव पदार्थ की भी ऊर्जा में बदलाव ला सकते हैं,



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