Friday, 27 August 2021

ओरा (आभामंडल)

ओरा (आभामंडल)


हर व्यक्ति के पीछे अपना आभामंडल होता है, आभामंडल को अंग्रेजी में ओरा कहते हैं। वर्तमान दौर में ओरा विशेषज्ञों का महत्व भी बढ़ने लगा है। इसे सूक्ष्म शरीर, एनर्जी फील्ड, कास्मिक बाडी भी कहते हैं। सामान्य स्थितियों में यह शरीर से 7-9 फीट दूर तक फैला होता है। यह रंगीन ऊर्जाओं से बना होता है, इस कारण ग्रहों की रंगीन एनर्जी इसे बहुत अधिक प्रभावित करती है। अर्थात इसे ठीक करके ग्रहों का दुष्प्रभाव आप मिनटों में समाप्त कर सकते हैं। यह ब्रह्मांड से सकारात्मक ऊर्जाओं को लेकर ऊर्जा चक्रों को देता है। ऊर्जा चक्र उनका उपयोग जीवन संचालन में करते हैं। 

कोई भी प्राब्लम या बीमारी सबसे पहले आभामंडल में ही आती है, यदि आभामंडल कमजोर है तो वह उसे भेद कर शरीर तक पहुंच जाती है। अगर आभामंडल मजबूत है तो नुकसान पहुंचाने वाली ऊर्जाओं को अंदर नहीं आने देता और हम पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं।


समस्या पैदा करने वाली ऊर्जाओं को आभामंडल में आते ही रीड किया जा सकता है। उन्हें रीड करके एक सुपर हीलर किसी के भविष्य में क्या होने वाला है यह आसानी से बता देता है। देवी या देवताओं के पीछे जो गोलाकार प्रकाश दिखाई देता है उसे ही ओरा कहा जाता है। दरअसल 'ओरा' किसी व्यक्ति और वस्तु के भीतर बसी ऊर्जा का वह प्रवाह है जो प्रत्यक्ष तौरपर खुली आँखों से कभी दिखाई नहीं देता हैं। उसको सिर्फ महसूस किया जा सकता हैं। 

          

आप किसी व्यक्ति के पास खड़े है और अचानक आपको लगने लगता है की आपको उससे थोड़ा दूर खड़ा होना चाहिए क्यों की आप खुद को उस स्थिति में comfort feel नहीं कर पाते है। जब उससे दूर हटते है तब आपको खुद में self-confidence का अहसास होने लगता है और आप सहज होने लगते है. ऐसा होता आपके औरा क्षेत्र में किसी और का घुसना ये बिलकुल आकर्षण के दायरे के समान है. जब 2 औरा क्षेत्र आपस में मिलते है तब एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते है।

हम खुद अनुभव करते हैं। कि कुछ लोगों से मिलकर हमें आत्मिक शांति का अनुभव होता है तो कुछ से मिलकर उनसे जल्दी से छुटकारा पाने का दिल करता है, क्योंकि उनमें बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा होती है। दरअसल ओरा से ही किसी व्यक्ति की सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को पहचाना जाता है। 

          लेकिन जब हम किसी वस्तु के नजदीक जाते हैं। या मान लो कि कुछ दिनों के लिए बहार घुमने जाते हैं। तो होटल में जो भी कमरा बुक करवाते हैं।, हो सकता है कि वहाँ घुसते ही आपको सुकून महसूस नहीं हो। हालाँकि घर जैसा सुकून तो कहीं नहीं मिलता। फिर भी कुछ कमरे ऐसे होते हैं। जो डरावने से महसूस होते हैं। तो समझ लें की वहाँ नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घना होता है।

           ध्यान के माध्यम से ओरा के सही प्रवाह को जाना जा सकता है। ओरा विद्या भी एक ऐसी विद्या है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने आध्यात्मिक चक्रों को कुछ इस प्रकार जागृत कर देता है कि उससे निकलने वाली शक्तियों का प्रवाह सामने वाले व्यक्ति के शरीर तक पहुँच सकता है।


ओरा क्या है : प्रत्येक व्यक्ति के शरीर के चारों और इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक फिल्ड का अस्तित्व छाया हुआ है जिसे 'ओरा' कहते हैं। ओरा प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग अलग होता हैं। यह शरीर  का सुरक्षा कवच होता हैं। ओरा का क्षेत्र व्यक्ति के शरीर पर तीन इंच से लेकर 20 से 50 मीटर तक की लंबाई तक हो सकता है। इतना ही नहीं 'ओरा' सजीव व्यक्तियों से लेकर निर्जीव व्यक्ति, जानवर, पे़ड-पौधे व सभी वस्तुओं का भी होता है। ओरा व्यक्ति के आभामंडल को कहते हैं। हर व्यक्ति का अपना एक प्रभाव होता है और उसमें इस ओरा का खास महत्व होता है। स्वयं को प्रभावशाली बनाने के लिए ओरा का प्रभावी होना आवश्यक है।


आपके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है उसका आभामंडल से सीधा सम्बंध हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि आभामंडल ही सब कुछ तय कर रहा है। कोई व्यक्ति सुखी होगा या दुखी, कोई धनवान होगा या निर्धन, कोई कामकाजी होगा या बेरोजगार, कोई मेहनती होगा या आलसी,  कोई पढ़ा लिखा होगा या अनपढ़, किसी का पढ़ने में मन लगेगा या नहीं, किसी के दोस्त अच्छे होंगे या बुरे, किसी का जीवन साथी सुख देने वाला होगा या दुख देने वाला, किसी की शादी होगी या नहीं, कोई कर्ज में डूबा होगा या कर्ज बांट रहा होगा, किसी का पूजा-पाठ फलित होगा या नहीं,  किसी को प्यार मिलेगा या नफरत, किसी को सम्मान मिलेगा या अपमान, किसी को सफलता मिलेगी या असफलता, कोई स्वस्थ होगा या बीमार, कोई पाप करेगा या पुण्य, यहां तक कि किसी को मोक्ष मिलेगा या भटकाव यह सब उसका आभामंडल ही तय करता है। आपके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है उसका आभामंडल से सीधा सम्बंध हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि आभामंडल ही सब कुछ तय कर रहा है।

       

        सजीव-निर्जीव सभी के इर्द-गिर्द एक प्रकाश का घेरा होता है, जानवर, पे़ड-पौधे, इन्सान (आदमी-औरत), वस्तु, पदार्थ सबके इर्द-गिर्द एक प्रकाश पुंज होता है जो हमें नंगी आँखों से नहीं दिखाई देता परंतु वैज्ञानिक यंत्रों से इसे देखा जा सकता है। इसका फोटोग्राफ लिया जा सकता है और इसके प्रभाव क्षेत्र को नापा जा सकता है।


       अपने सभी देवी देवता या संत महात्मा की तस्वीर में सिर के चारों ओर सफेद प्रकाश का घेरा देखा होगा यह उनका ओरा क्षेत्र हैं। लेकिन यह केवल सिर पर ही नहीं होता बल्कि पूरे शरीर के चारों तरफ होता हैं। और यही उसका अपना ऊर्जा क्षेत्र हैं। प्रत्येक पदार्थ इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन से बना होता हैं। यानी (नेगेटिव विधुत अणु + पॉजेटिव विधुत अणु) ये कण निरंतर  गतिमान रहेते हैं। जड़ पदार्थ में इनमें गति कम होती हैं। जीवित में ज्यादा सक्रिय व  कम्पायमान रहते हैं। इसलिए पेड़ पौधों जानवरों व व्यक्तियों में ऊर्जा क्षेत्र को आसानी से देखा जा सकता हैं। 

     

ओरा की ऊर्जा -: शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिक शास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह  शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है।  भौकिशास्त्री ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे  प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing)  से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।

           हमारा शरीर एक बड़े ऊर्जा पिण्ड  या ओरा में स्थित रहता है, इसी ऊर्जा पिण्ड के द्वारा हम स्वास्थ्य, रोग आदि समेत जीवन की यथार्थता का अनुभव करते हैं।  इसी ऊर्जा से हमें स्वचिकित्सा या निरामय रहने का सामर्थ्य मिलता है। समस्त रोगों की उत्पत्ति इसी ऊर्जा पिण्ड से होती है।  प्राचीन काल से आधायात्मिक चिकित्साविद् और आयुर्वेदाचार्य  इस के बारे चर्चा करते आये हैं, परन्तु इसका वैज्ञानिक दृष्टि से सत्यापन हाल ही के वर्षों में हुआ है।


           इस आभा-मण्डल में सात चक्र समेत कई परतें होती हैं। इसकी किसी भी परत या चक्र में कोई गड़बड़, असंतुलन या अवरोध आने से वह भौतिक देह में प्रतिबिम्बित और एकत्रित हो जाती है, जिससे भावनात्मक या दैहिक रोग हो जाता है। हर व्यक्ति चाहे तो अपने देखने और सुनने की क्षमता और सीमा को बढ़ा सकता है।  आज ऐसी तकनीक और व्यायाम विकसिक हो चुके हैं, जिससे व्यक्ति अपना आभामण्डल देख सकता है, ओर अपने ग्रहणबोध का विस्तार करके  आध्यात्मिक चिकित्सा को समझ सकता है।  





सब कुछ ऊर्जा है

 सब कुछ ऊर्जा है

अल्वर्ट आइंस्टीन एक विज्ञानिक हुए जिन्होंने यह सिद्धांत दिया कि सब कुछ ऊर्जा है, ओर ऊर्जा को न तो कभी नष्ट कर सकते हैं और ना ही पैदा कर सकते हैं, केवल उसके स्वरूप को बदल सकते हैं, जैसे पानी को आग पर गर्म करने से ऊर्जा वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाती है और फिर ब्रह्मांड में मिल जाती है, उसके बाद वही ऊर्जा बादल के रूप में बरस कर पानी के रूप में बदल जाती है, ऐसे ही लकड़ी को जलाने पर लकड़ी की ऊर्जा अग्नि के रूप में, उष्मा के रूप में व्याप्त हो जाती है, और इसी प्रकार और ऊर्जा के स्वरूपों को देखें, तो प्रकाश, ध्वनि, ताप, बिजली, विद्युत चुंबकीय तरंगे, गति, पानी, बोतल, खाना, शरीर, कपड़े, पेड़, पोधे, घर, मकान, कार, पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्र, पहाड़, धातुएं, नग, नगीने, सभी ठोस, द्रव्य, गेस, ऊर्जा के ही रूप हैं, 


उन सभी में एक ही ऊर्जा व्याप्त है, यदि किसी भी वस्तु को हम माइक्रोस्कोप के द्वारा निरीक्षण करेंगे, तो जानेंगे कि सब कुछ केवल ऊर्जा से बना हुआ है, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, सब ऊर्जा से बंधे हुए हैं, और यही ऊर्जा सभी प्राणी का निर्माण कर रही है, और यही हर वस्तु का भी निर्माण कर रही है, वह कोई भी पत्थर हो या प्राणी या धातु या पेड़ पौधा अंत में सब ऊर्जा में ही विघटित हो जाते हैं, और सभी एक ही ऊर्जा से पैदा हुआ करते हैं, आपके विचार, भावनाएं, कार्य, सब ऊर्जा के रूप हैं, इसी को कॉस्मिक एनर्जी कहा जाता है, और इसी ऊर्जा का प्रयोग सभी करते हैं, और सभी हिलिंग में भी इसी ऊर्जा का प्रयोग होता है रेकी हीलिंग, साइकिक हीलिंग, स्प्रिचुअल हीलिंग, टच हीलिंग, कॉस्मिक हीलिंग, सबकॉन्शियस माइंड हीलिंग, तन्त्र हीलिंग, मन्त्र  हीलिंग, थीटा हीलिंग, बीटा हीलिंग, गामा हीलिंग, एंजेल हीलिंग, और समस्त हीलिंग इसी ऊर्जा से कार्यरत होती हैं, परंतु ऊर्जा के प्रयोग के तरीके अलग-अलग होते जाते हैं 

यह चेतना वह तत्व है जो हर प्राणी में हैं इसी को शिवतत्व कहा गया, ओर सभी में यह तत्व चेतन तत्व के रूप में विद्यमान हैं, जो हर चीज को एक निश्चित आकार में रखे हुए हैं, पानी को पानी के रूप में, पहाड़ों को पहाड़ों के रूप में, वृक्षों को वर्क्षो के रूप में, मनुष्य को मनुष्य के रूप में, जानवरों को जानवरों के रूप में, पक्षियों को पक्षियों के रूप में, इसको ही शिव तत्व, ज्ञान तत्व, आदि शक्ति, पराशक्ति और जापान में रेकी आदि नामों से जाना जाता है, हमारी चेतन ऊर्जा और निर्जीव की चेतन ऊर्जा में केवल एक अंतर होता है, और वह है चेतन तत्व अपनी ऊर्जा में विचारों से, भावनाओं से, कर्म करके सोचकर बदलाव ला सकते हैं, निर्जीव ऊर्जा में बदलाव नहीं ला सकते, लेकिन हम स्वयं के साथ साथ निर्जीव पदार्थ की भी ऊर्जा में बदलाव ला सकते हैं,



Thursday, 26 August 2021

रेकी हीलिंग की आवश्यकता क्या है

रेकी हीलिंग की आवश्यकता क्या है

आज का जीवन भागदौड़ का जीवन है, सभी को अच्छी से अच्छी सुख सुविधाएं चाहिए, सफलता चाहिए, समृद्धि चाहिए, अच्छी हेल्प चाहिए, और वह सब कुछ जो आपको आनंद दे उसे पा लेना चाहते हैं, और यह सब हमें मिलना भी चाहिए क्योंकि यह हमारा अधिकार है, परंतु हमें सब मिलता नहीं है, उसके लिए हम प्रयास भी करते रहते हैं, परंतु वह प्रयास गलत दिशा में कर रहे होते हैं अगर इस प्रयास की दिशा सही हो जाए तो हम वह सब कुछ पा सकते हैं जो पाना चहाते है, ओर इस सब को पाने के लिए हमारी भागदौड़ बढ़ गई है जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है रात को नींद नहीं आती है, लेट सोते हैं लेट उठते हैं खाना-पीना भी डिस्टर्ब है खाने का कोई समय नहीं है खाने की सही वैरायटी नहीं है, खाने में पोसक तत्व की कमी, कुछ गलत आदतें हो गई हैं जैसे शराब पीना या कोई भी नशा करना आदि, इन सब की वजह से हम डिप्रेशन में जाने लगते हैं, हमारे अंदर तनाव पैदा होने लगता है, जिससे हमारा स्वास्थ्य, हमारा व्यवहार, हमारा मन, हमारे सोचने का ढंग, सब कुछ बिगड़ने लगता है, और बीमारीयां पैदा होने लगती है, इन सब से मुक्ति के लिए और जीवन में आनंद के लिए आपको अपनी दिनचर्या एवं सोचने के ढंग को बदलने की जरूरत है, यह इतना आसान तो नहीं है, पर नामुंकिन बिल्कुल नहीं है, मनुष्य जो चाहे वह कर सकता है, और जो चाहे पा सकता है, हाँ समय जरुर लग सकता है, 

रेकी से आप अपनी एनर्जी को ठीक कर सभी बीमारियों से मुक्त हो सकते हैं इससे  धीरे-धीरे अपके विचार, आपके भौतिक शरीर, आपके मन की सोच, व भावनात्मकता में बदलाव आने लगते हैं, रेकी से आपके काम करने का तरीका, आपके सोचने का तरीका बदल जाता है, जिससे आपको जीवन में आनंद आने लगता है, रेकी में कुछ ध्यान की ध्यान की क्रियाएं हैं जिनको करने से आपका मन शांत होने लगता है, आपके अंदर से तनाव खत्म होने लगता है, आपका शरीर ऊर्जा से भर जाता है, आपके समस्त चक्रों में ऊर्जा का संतुलन बन जाता है, और अबचेतन व चेतन मन में जो विचारों का प्रवाह है वह सकारात्मक होने लगता है, रेकी से आप अपने अंदर की छुपी हुई शक्तियों को जान पाते हैं, यह शक्तियां वैसे तो सभी को प्राप्त हैं परंतु इनका प्रयोग करना नहीं जानते, इस वजह से हमें उनका लाभ नहीं मिल पाता है, इस रेकी कोश में आप उन शक्तियों का प्रयोग सीख पाएंगे, जिससे आपको पूर्ण स्वास्थ्य, आनंद, खुशी, उत्साह, जीवन में भर जाएगा, इसमें आप केवल अपने ही रोगों को ठीक नहीं करते, बल्कि दूसरों को भी ठीक कर सकते हैं और यह पद्धति उपचार का तरीका बहुत सहज है, सरल है, और निशुल्क है, केवल एक बार आप इसको सीख लेते हैं, तो आप जीवन भर इसका प्रयोग कर सकते हैं, दूसरा अन्य पद्धतियों से उपचार करने पर बहुत सारे साइड इफेक्ट हो जाते हैं, परंतु रेकी से उपचार करने पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और फायदा हंड्रेड परसेंट होता है, हमारा उद्देश्य भारत के प्रत्येक घर में रेकी को पहुंचाना है जिससे आज गरीब लोग जो बीमारी से ग्रस्त होकर कष्ट भोग रहे है उन्हें कष्ट से मुक्ति मिल सके, ओर महेंगे ईलाज न करा सकने वाले भी स्वास्थ्य जीवन यापन कर सके, अत: आप सभी इसका प्रचार प्रसार करके अधिक से अधिक प्रेमीजनों तक इसको पहुचाने में सहयोग करे जिससे एक स्वास्थ्य भारत का सपना साकार हो सके |